What is Electoral Bond? चुनावी बांड क्या है? पूरी जानकारी

Electoral Bond : समर्थन से समस्याओं तक

चुनावी बॉन्ड : भारतीय राजनीति का महत्वपूर्ण घटक है चुनावी प्रक्रिया। चुनाव एक लोकतंत्र के आधार और पीलर होता है जो जनता को सरकार चुनने की अधिकारिकता प्रदान करता है। इसलिए, चुनाव प्रक्रिया की साफ-सुथरी, पारदर्शिता और निष्पक्षता पर काफी ध्यान दिया जाता है। हाल ही में, एक नई चुनावी वित्तीय उपाय का आयोजन किया गया है – “भारतीय चुनावी बॉन्ड”। इस ब्लॉग पोस्ट में, हम इस नए प्रणाली के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान करेंगे और उसके चरमों और कारणों की चर्चा करेंगे।

Electoral Bond

चुनावी बॉन्ड क्या है?

चुनावी बॉन्ड एक नई वित्तीय प्रणाली है जिसका उद्देश्य राजनीतिक दलों को चंदा देने का स्त्रोत प्रदान करना है। इन बॉन्ड्स को केंद्र सरकार द्वारा जारी किया जाता है और व्यक्तिगत या कॉर्पोरेट चंदा देने के लिए उपयोग किया जा सकता है। इन बॉन्ड्स के जरिए चंदा देने वाला व्यक्ति या कंपनी चंदा देने के लिए किसी भी राजनीतिक दल को चुन सकता है, लेकिन इसका पर्चा निजी रहता है और चुनाव आयोग को उसके बारे में कोई जानकारी नहीं मिलती।

चुनावी बॉन्ड के लाभ

चुनावी बॉन्ड्स के अनुसार, इस प्रणाली के कई लाभ हैं। पहले तो, यह चुनावी निधियों को स्थायी स्रोत प्रदान करता है जो वे अपने चुनावी अभियानों के लिए उपयोग कर सकते हैं। दूसरे, यह प्रणाली पारदर्शिता को बढ़ावा देती है, क्योंकि बॉन्ड्स के माध्यम से दिए गए चंदे के बारे में कोई जानकारी नहीं होती है। तीसरे, यह भ्रष्टाचार को कम करने में मदद कर सकता है क्योंकि चंदे के देने वाला व्यक्ति या कंपनी किसी भी राजनीतिक दल को चंदे नहीं दे सकता है।

चुनावी बॉन्ड की समस्याएं

हालांकि, चुनावी बॉन्ड्स के साथ कुछ समस्याएं भी हैं। सबसे बड़ी समस्या यह है कि यह प्रणाली पारदर्शिता की भावना को कमजोर कर सकती है। क्योंकि चंदे के देने वाले का नाम नहीं प्रकट होता, लोगों को यह पता नहीं चलता कि चंदे किसने दिए हैं और किस दल को लाभ मिला है। दूसरी समस्या यह है कि यह प्रणाली बड़ी राशि के चंदे देने वाले लोगों को सुरक्षित रख सकती है, जिससे छोटे चंदे देने वाले लोगों का ध्यान भ्रष्ट हो सकता है।

चुनावी बॉन्ड का इतिहास और विकास

चुनावी बॉन्ड की शुरुआत 2017 में भारतीय सरकार द्वारा की गई थी। इस प्रणाली का उद्देश्य चंदा देने के प्रक्रिया को साफ़ और पारदर्शी बनाना था। पहले साल में ही केंद्र सरकार ने चुनावी बॉन्ड्स को प्रारंभ किया, लेकिन इसकी महत्ता और अपेक्षाएँ उस समय नहीं थीं जैसी वे आज हैं।

चुनावी बॉन्ड्स के विवाद

चुनावी बॉन्ड्स के प्रक्रिया में विवादों की भी खबरें हैं। विपक्ष का कहना है कि इस प्रणाली से धन के लेन-देन को पारदर्शी बनाने का वास्तविक उद्देश्य नहीं पूरा हो रहा है। उनका मानना है कि बॉन्ड्स के माध्यम से दिए गए चंदे के पीछे की योजनाओं और धन के स्रोतों को पता करना मुश्किल होता है।

सुप्रीम कोर्ट का चुनावी बांड पे रोक, असन्वैधानिक घोषित

सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बॉन्ड योजना को असंवैधानिक घोषित किया है। अपने फैसले में, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह योजना नागरिकों के सूचना के अधिकार का उल्लंघन करती है, जो संविदान के अनुच्छेद 19(1)(a) के तहत नि:शुल्क भाषण और अभिव्यक्ति पर प्रभाव डालता है।

“राजनीतिक वित्तपोषण में पारदर्शिता को पूर्ण मुक्तियों देने से प्राप्त नहीं किया जा सकता,” सुप्रीम कोर्ट ने कहा। शीर्ष न्यायालय ने इस्यू करने वाले बैंक (एसबीआई) को तत्काल चुनावी बॉन्डों के इस्यू को बंद करने के आदेश दिए। राज्य बैंक ऑफ इंडिया से मार्च 6, 2024 तक चुनावी बॉन्ड के माध्यम से दान की गई राशि और जिन राजनीतिक दलों ने योगदान प्राप्त किया, उन राशियों के विवरण प्रस्तुत करने का आदेश दिया गया है। जिन चुनावी बॉन्डों को राजनीतिक दलों ने नहीं भरा है, उन्हें खरीदार से वापस करना होगा।

सुप्रीम कोर्ट ने आयकर अधिनियम और जनप्रतिनिधि अधिनियम में किए गए संशोधनों को भी रद्द कर दिया, जिनसे योगदानों को अनजान बनाया गया था। एक महत्वपूर्ण अवलोकन में, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि चुनावी योजना वह पार्टी की मदद करेगी जो सत्ता में होगी। इसने यह भी निर्धारित किया कि यह योजना न केवल इस दावे के द्वारा योजना को विचार दिया जा सकता है कि यह राजनीति में काले धन की आवाज़ को कैसे बंद करेगा।

आर्थिक असमानता नेताओं के भिन्न स्तरों के राजनीतिक जुड़ाव को लेकर ले जाती है। सूचना का पहुंच पॉलिसी निर्माण पर प्रभाव डालने और क्विड प्रो क्वो व्यवस्थाओं के द्वारा पार्टी द्वारा पार्टी के द्वारा पार्टी की सहायता करने में मदद कर सकती है,

इस ब्लॉग पोस्ट में, हमने भारतीय चुनावी बॉन्ड के बारे में एक विस्तृत चर्चा की है। इस प्रणाली के लाभ और समस्याओं के माध्यम से हमने इसका समीक्षा किया है। यह भारतीय राजनीतिक प्रक्रिया को प्रभावित करता है।

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FAQs

1. भारतीय चुनावी बॉन्ड क्या है?

भारतीय चुनावी बॉन्ड एक वित्तीय प्रणाली है जिसका उपयोग राजनीतिक दलों को चंदा देने के लिए किया जाता है। यह केंद्र सरकार द्वारा जारी किया जाता है और नामित रूप से चंदा देने के लिए उपयोग किया जा सकता है।

2. चुनावी बॉन्ड का उपयोग किस तरह से किया जाता है?

चुनावी बॉन्ड का उपयोग चंदा देने के लिए किया जाता है। यह व्यक्तिगत या कॉर्पोरेट चंदे देने के लिए उपयोग किया जा सकता है और इसका पर्चा निजी रहता है।

3. चुनावी बॉन्ड्स को कैसे खरीदा जा सकता है?

चुनावी बॉन्ड्स को केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित बैंकों से खरीदा जा सकता है। व्यक्ति बैंक में जाकर इसे खरीद सकते हैं।

4. चुनावी बॉन्ड की पारदर्शिता कैसे है?

चुनावी बॉन्ड्स के माध्यम से चंदे के देने वाले का नाम प्रकट नहीं होता है, जिससे इसकी पारदर्शिता में ठोसता होती है। लोगों को यह पता नहीं चलता कि चंदे किसने दिए हैं और किस दल को लाभ मिला है।

5. चुनावी बॉन्ड्स के लाभ क्या हैं?

चुनावी बॉन्ड्स के उपयोग से चंदा देने वाले व्यक्ति या कंपनी का नाम गोपनीय रहता है, जिससे उन्हें सुरक्षित रहता है। इसके साथ ही, इस प्रणाली से चंदा देने वालों के लिए पर्याप्त निर्विघ्न स्रोत प्रदान किया जाता है।

6. सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बॉन्ड्स के संबंध में क्या आदेश जारी किए हैं?

सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बॉन्ड योजना को असंवैधानिक घोषित किया है। उसने इस योजना को नागरिकों के सूचना के अधिकार का उल्लंघन करने का आरोप लगाया है।

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